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जैन सुबोध गुटका ।
३६६ कुटिल नर. ' तंज-दया करने में जिया लगाया करो) · इन्हीं पापियों ने देश डुबायारे ॥ टेर । मात पिता से करते लड़ाई, नारी के मोह में मोवायारे॥१॥ घर नारी पतित्रता जो छोड़ी, वेश्या के घर सोयारे ॥ २॥ सत्संग से संह को मोड़े, नशाबाजी में दिन खायार ॥३॥ लालच के वश दे बुढ़े को बंटी, राण्ड बनी तब रोयारे ॥४॥ गुरू प्रसाद चोथमल कहे, श्राम इच्छा से निम्न थें बोयारे ॥५॥
...३७० सत्य ही कहना,
(तज-पहलू में यार है मुझे उसकी ] : . : सत्व वात के कहे बिना रहा नहीं जाता। वुगले को हंस हमसे, बताया नहीं जाता ।। टेर ॥ मिलता है राज्य तख्त छत्र, एक धर्म से । अघी से सुखी होय, सुनाया नहीं जाता:॥१॥ अमृत के पीने से मरे, जीवे जो जहर से । यह आग के.बीच बाग, लगाया नहीं जाता ॥२॥ दानियां भी अगर लोट जाय, अफसोस कुछ नहीं । एरंड, को कल्पवृक्ष, बताया नहीं जाता ॥३ ॥ कहे चौथमल, दिल. बीच जरा; गौर तो करो । तारे की ओट चन्द, छिपाया नहीं जाता॥४॥