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अंग Any गुहा
सरज की भी नीन अवस्था, दिवा बीच दोजावरे । बाल युवानी वृद्धा अवस्था, पलटा खादरे ॥ ॥१॥ कर कराह नृप चम्पा नगरी को, नीनि से राज पलांवरे। रधि से तेज पुन, भूप कई मुजर शायरे ॥ ३० ॥२॥ एक दिन बन जाता मार्ग में, गी वत्स दरशावरे । खूब पिलायो दुध इसे यू. एकम मुनयः ।। क्य० ॥३॥ गोवन में दुलो मस्त दूध मल, सांडनान ठेगरे। कालान्तर का योग, बुढ़ापा उसे दवाधेरे ॥षय० ॥ell पहा पथ के बीच, उठाया नहीं किसी से जारे देख व्यरच्या सांड की, नर चिन्ता लावरे ।। ५ ।। निर्णय किया भूम मंत्री न, भेद सकल जद पारे । निज व्यवस्था सांच नृप, मेदों को अलावा ॥ ॥ ६॥ हम नहीं मरें अमर रहे जग में, नहीं बढ़ायो साव। जागिरी पतीस को, जो दवा बिलावरे । वय. ॥ ७॥ नहीं हुई नहीं होन की, यह मंत्री मिन्न समगावपाल रूप वायु के मागे, सय बिग्लाघरे वयः ॥ ॥ होच चरागी राज कुंवर ने, गही तुम्त पिटाने प्रत्येक पहिया ले फिर, मोन सिधावर ॥ यय० ॥६॥ शहर भिलार गानि. स टागा, इस्पासी साल में सवि। गुरुप्रसाद नशमन सुख सम्पनि पावरे । बम ॥ १० ॥
२३६ प्रिया का उपदेश
पिया गरों में हमारे द्वारा पानी