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गोप गुटपा।
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...raneerutra.
माह का फन्दा, काट जिनन्दा, जालीम का ग मृग को चचादो ॥ प्रभु० ॥ २ ॥ प्रशला का जया, पकरके या. खास शिवपुर में मुझको पहुंचादी ॥ प्रभु० ॥ ३॥ नृ तारन तिग्न है, तेरी शरन है। हां चौथमल को सही बनादो । प्रभु० ॥ ४॥
३१६ महावीर प्रम से अमी. (~ना देशोगानी दंगा भरवायो माप निर)
पापा से मुड़ादार, नशलाका लाइला टेर नही स्वामी अन्तरवामी, सारे जगत में नामी नहीं किंचित तुझ में स्वामीरे वशता फा० ॥१॥.मी नामा शिव गुरारी, तूं ही जगदीश जयकारी । नेश सम्म मोहन गारीरे प्रशला ॥२॥त ही मधम उधारन पायन, गन पकड़ा तग दामन नही मिला मोक्ष पानावर शला ॥३॥ गू चौथमल गुण गाये, नित मन बच्छिन मुख पाये, मेरे दिल में ही रामावर ।। शेला०॥४॥
३२० देश सुधार. (तपयांधी या माता मधुर गर) लीने देश गुधार, मिज सुब तीन दंग सुधार टिगा भनाया तीस फरक, पार विद्या प्रसार
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