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जैन सुबोध गुटका। के मन धन धान्य ज्यू, भोगी के मन भोगरे । सुन० ॥ ॥ ३ ॥ कम्पित काच बीच में देखो, सूरत नजर नहीं . श्रावे । ऐसे मन चंचल भोगों में, प्रभु नजर नहीं आवेरे .॥ सुन० ॥४॥. पदमासन कर हाथ मिला, नासाग्र दृष्टि लगावे। ओष्ठः बन्ध कर. मन में बोले, निजानन्दः मिल जोवरे ॥ सुन० ॥.५ ॥ मारवाड़ ..में शहर सादड़ी, साल
इक्यासी आवे ! गुरु प्रसादे चौथमल कहे, ज्योति में ज्योति . समावरे ॥ सुन० ॥ ६॥.. ..
. .. wism. ३१२ राजुल का सखी से कहना..." ": । (तर्ज-अम्मा मुझे छोटी सी टोपी दिलादे) . .'
. सखी गिरनारी की राह बतादे, “राह बतादे, चल के दिखादे । एरी मेरे बालम से प्लुझको मिलादे । टेर। मैं नव भव की रानी, प्रीत पुरानी, फिर गये क्यों उनको जितादे ॥सखी०॥।॥ पशु की बानी पे करुणा जोआनी, उस श्याम को यहां पे बुलादे॥सखी०॥२ ।। आर्जका बनूंगी, दर्शन करूंगी, और बातों को दूर हटादे ॥ सखी० ॥ ३॥ राजुल को तारी, वरी शीव नारी, चौथमल को भी. मोक्ष दिखादे सखी० ॥४॥... . .. . .. .. ... .'
_ . . . . . . ३१.३ विषय परिणाम :: : : , (तर्ज-यह कैसे बाल विखरे है, क्यों सूरत बनी गम की.) .. फंसा जो ऐश के फन्दे, नहीं पाराम पाया है। मगर..