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________________ (१२) पृष्टाङ्क '७८ २६७ प्राणी परदेशी अमर २६८ प्रीतम अवला की अरदास २६६ प्रीतम से पदमण नित्य २७० प्रीत पर घर मत कीजेरे · २७१ फँसा जो पेश के फन्दे । - २७२ फानी दुनियां में कोई . २७३ फायदा इस में नहीं • २७४ फूट तज प्राणीरे . . २७५ बन्द करो बन्द करो . .२७६ बहिनों शिक्षा पर ध्यान .२७७ बायां सुतर सुणोए . २७८ बेटियां बोले छे उसवार . . २७६ भवसागर में पापी की नैया ર૪૨ २८० मंदोदरी कहे यूं कर . २८१ मत कीजो चोरी कहे . २८२ मत कीजो दगा समझाते २८३ मत फीजो नशामुख । २८४ मत कीजो सट्टा २ २८५ मत चाह की चाट २८६ मत दीजो चतुर नर २८७ मत पड़ मोहनी के फंदरे . २३५ ...१०३ '. ३१० : १४१ • २२४
SR No.010311
Book TitleJain Subodh Gutka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChauthmal Maharaj
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1934
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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