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पृष्टाङ्क
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२६७ प्राणी परदेशी अमर २६८ प्रीतम अवला की अरदास २६६ प्रीतम से पदमण नित्य २७० प्रीत पर घर मत कीजेरे
· २७१ फँसा जो पेश के फन्दे । - २७२ फानी दुनियां में कोई .
२७३ फायदा इस में नहीं • २७४ फूट तज प्राणीरे . .
२७५ बन्द करो बन्द करो . .२७६ बहिनों शिक्षा पर ध्यान .२७७ बायां सुतर सुणोए . २७८ बेटियां बोले छे उसवार
. .
२७६ भवसागर में पापी की नैया
ર૪૨
२८० मंदोदरी कहे यूं कर . २८१ मत कीजो चोरी कहे . २८२ मत कीजो दगा समझाते २८३ मत फीजो नशामुख । २८४ मत कीजो सट्टा २ २८५ मत चाह की चाट २८६ मत दीजो चतुर नर २८७ मत पड़ मोहनी के फंदरे
. २३५ ...१०३ '. ३१० : १४१ • २२४