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पृष्टीत . २४१ पंछी काहे को प्रीत लगावे " - २४२ पर त्रिया से प्रेम लगाओ ..
३०१ .२४३ पयूषण पर्व श्राज श्रायाः ।
.२५६ २४४ पलकर श्रायु जायरे चेतनियों: . . . १२३ २४५ पहिनों २ सखीरी ज्ञान गजरा २४६ पापिनी ममतारे ममता
.११३ २४७ पापी तो पुण्य का मार्ग
२६ २४८ पापों से मुझे छुडादोरे २४६ पा मौका सुकृत नहीं करता .
१६६ २५० पाथ अव मनुष्य को .
२६७ २५१ पावे न कोई पार श्रीकृष्ण
१७८ २५२ पिया की इन्तजारी में २५३ पिया गैरों से मोहबत
२४३ २५४ पिया रंडी के जाना मना ।
२३७ २५५ पुरुषारथ से सिद्धि
२५६ पूछे बिभिषण हित ।। . २५७ पैदा हुश्रा है जहां में: .
३०४ २५८ प्यारे गफलत की नीन्दः
२७३ .. २५६ प्यारे दया को हृदय लो
२६२ २६० प्यार हिन्दू से कहना .
.१३० - २६१ प्रभु कीजे रक्षा हमारीरें ...
२६२ प्रभु के भजन बिन कैसे . २६३ प्रभुतेरी कृपा से बल
..४० २६४ प्रभु ध्यान से दिल को .२६५ प्रभु मुझे मुक्ति के म में
.२२६ .२६६ प्राणीया कैसे होवेगा ।
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