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जैन सुवोध गुटका।
बदले बदी तैयार, पाराम नेकी दिखावेगा ॥टेर । यही है हुक्म ईश्वर का, रहम सब लह पर रखमा । छुरा जिसपे . चलावे यहां, छुरा वो वहां चलावेगा ॥ करो० ॥ १ ॥ दिवाना हो फिरे धन में, भूल के नाम ईश्वर का । जुल्म करता गरीवों पे, उसे वो भी दवावेगा ॥२॥ वे जवां को मार फर खाता, नफ्स तैयार करने को । जिस्म तेरे निकाली गोश वहां तुझको खिलावेगा ॥ ३ ॥ शराव से फेफड़ा सड़ता, शरावी नाली में गिरता । नरक में कर गरम शीशा, उसे वो वहां पिलावेगा ॥ ४॥ भूठे की जवां ऊपर, डंक विच्छु ल गावेगा। कटेगी जवां गवा झूठो, जो देवे और दिलावेगा ॥ ५॥ सच्चा यकीन कर मानो, बदी फूले फलेगा कव । नेकी मोक्ष दिलवाती, यहां इज्जत बढ़ावेगा ॥ ६ ॥ देवांगना नाच वहां करती, महल रत्नों जड़े उम्दा । चौथमल स्वर्ग की सैरे, वही नेकी करावेगा ॥७॥
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१४४ हुक्का निषेध. (तर्ज-मजा देते हैं क्या यार तेरे वाल घूघर वाले ) कैसा बुरा हुक का शोक, धर्म की राह भुलाने वाला ॥टेक ॥ प्रात ही हुक को नलवावे, भजन नहीं प्रभु का करे करावे। चलम को भर के दम लगावे, कुल मर्याद लोपानेवाला ॥ १॥ समझा हुका ज्ञान अरु ध्यान,यही नेम अरु यही दान । इसी को परम पद पहचान, दिल को शाह बनानेवाला ॥२॥ हुक्का बगल हाथ में रहावे, जहां जावे तहां साथ ले जावे । गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ शोर मचावे, गौरव का धुवां उड़ानेवाला ॥ ३ ॥ हुक्का पीवे और पिलावे, हुकां से हु.मा जावे । चौथमल तो त्याग करावे, सबका हित चहाने वाला ॥ ४॥ ;
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