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________________ २- प्रव्य गुण पर्याय २/ २ - व्याधिकार ३५. काय के भेदों में स्थावर के सर्व भेद गिना दिये पर बस का कोई भेद न गिनाया ? हां, क्योंकि पांच स्थावरों के शरीर भिन्न-भिन्न जाति के हैं पर सभी तसों का शरीर एक मांस जाति का है । ३६. जीव द्रव्य को 'जीव' व 'आत्मा' क्यों कहते हैं ? प्राण धारण करने की अपेक्षा 'जीव' और अपने गुण पर्यायों को प्राप्त करने की अपेक्षा 'आत्मा' है । ६० ३७. क्या आत्मा के अवयव होते हैं ? निश्चय से नहीं, व्यवहार से उसके गुण पर्याय तथा प्रदेश ही उसके अवयव हैं । ३८. जीव कितने हैं ? जीव द्रव्य अनन्तानन्त हैं । ३६. जीव द्रव्य कहां हैं ? समस्त लोकाकाश में भरे हुए हैं । ४०. अनन्तानन्त जीव इस लोक में कैसे समायें ? सूक्ष्म शरीरधारी जीव एक दूसरे में समाकर एक ही क्षेत्र में अनन्तों रह जाते हैं । स्थूल शरीरधारी एक दूसरे में नहीं समा सकते । ४१. सिद्ध लोक में केवल मुक्त जीव ही रहते होंगे ? नहीं, वहां अनन्तानन्त सूक्ष्म जीव भी रहते हैं, क्योंकि ये सर्वत्र लोक में ठसाठस भरे हुए हैं । ( २. पुद्गल द्रभ्य ) ४२. पुद्गल द्रव्य किसे कहते हैं ? जिसमें स्पर्श रस गन्ध व वर्ण पाया जाये । ४३. पुद्गल शब्द का सार्थक्य समझाओ । 'पुद' अर्थात पूर्ण होना और 'गल' अर्थात गलना । जो पूर्ण हो सके और गल सके, अर्थात मिलकर या बन्धकर स्कन्ध बन सके
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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