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________________ ५८ २-व्रज्य गुण पर्याय २/२-व्याधिकार १४. आप दोनों में अधिक गुणी कौन ? निश्चय से दोनों समान, क्योंकि दोनों में उतने उतने ही गुण है। व्यवहार से शान्तिलाल अधिक गुणी है, क्योंकि मुझ से अधिक शास्त्रज्ञ है। १५. निश्चय से पिता पहले होता है या पुत्र ? कोई पहिले पीछे नहीं, क्योंकि दोनों ही त्रिकाली द्रव्य हैं। १६. एक जीव कितना बड़ा होता है ? एक जीव प्रदेशों की अपेक्षा लोकाकाश के बराबर (असंख्यात प्रदेशी) है, परन्तु संकोच विस्तार के कारण अपने शरीर के प्रमाण है । और मुक्त जीव अन्तिम शरीर के प्रमाण है । १७. लोकाकाश के बराबर कौन सा जीव है ? मोक्ष जाने से पूर्व समुद्धात करने वाला जीव लोकाकाश के बराबर है। १८. जीव छोटे बड़े शरीर में कैसे समाता है ? उसमें सिकुड़ने व फैलने की विशेष शक्ति है। १६. सुकड़ जाने से जीव में क्या कमी पड़ती है ? कुछ नहीं, क्योंकि उसके प्रदेश उतने के उतने ही रहते हैं। २०. फैल जाने से जीव में कुछ वृद्धि हो जाती होगी ? नहीं, उसके प्रदेश उतने के उतने ही रहते हैं। २१. आप कितने बड़े हैं ? निश्चय से लोक प्रमाण और व्यवहार से शरीर प्रमाण । २२. लोक प्रमाण जीव इतने छोटे से शरीर में कैसे आवे ? सुकड़ने के कारण उसके प्रदेश एक दूसरे में समा जाते हैं । २३. प्रदेश एक दूसरे में कैसे समा सकते हैं ? । अमूर्तीक व सूक्ष्म पदार्थों को एक दूसरे में समाने में कोई बाधा नहीं। २४. एक स्थान में शरीरधारी जीव एक ही रहता है ? नहीं, यद्यपि स्थूल शरीरधारी तो एक ही रह सकता है, पर सूक्ष्म शरीरधारी अनन्त रह सकते हैं।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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