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२/२ द्रव्याधिकार
(१. जीव द्रव्य) १. जीव द्रव्य किसे कहते हैं ?
जिसमें चेतना गुण पाया जावे उसको जीव द्रव्य कहते हैं । २. जीव का लक्षण अमूर्त करें तो क्या दोष है ?
अतिव्याप्ति दोष आता है, क्योंकि आकाश आदि अन्य अमूर्तोक
द्रव्यों में भी वह लक्षण चला जाता है। ३. जीव का लक्षण रागी करें तो क्या दोष है ?
अव्याप्त दोष आता है, क्योंकि यह लक्षण संसारी जीवों में
पाया जाता है, मुक्त में नहीं। ४. जीव का लक्षण शरीरी करें तो क्या दोष आता है ?
असम्भव दोष आता है, क्योंकि जीव चेतन है और शरीर
अचेतन । ५. जोव के निश्चय से कितने भेद हैं ?
कोई भेद नहीं है । चेतन स्वभावी जीव निश्चय से एक ही प्रकार का है, जैसे तालाब, बावड़ी आदि का जल वास्तव में
एक ही प्रकार का है। ६. जीव के आगम कथित भेद वास्तव में किसके हैं ?
शरीर के हैं जीव के नहीं; जिस प्रकार कि जल के भेद वास्तव में तालाब आदि आधारों के हैं जल के नहीं।