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________________ १--न्याय २३ ३- परोक्ष प्रमाणाधिकार १०. निम्न दृष्टान्त किस-किस नाम वाले हैंजो किया जाता है वह परिणामी होता है जैसे घर; जो किया नहीं जाता वह परिणामी भी नहीं होता जैसे आकाश; जहां इच्छा होती है वहां अवश्य मायाचारी होती है जैसे लोभी राम; जहां इच्छा नहीं होती वहां अन्य कषाय भी नहीं होती जैसे वीतरागदेव; मेहनती व्यक्ति खूब कमाता है जैसे वृद्धि - चन्द्र; जो काम नहीं करता वह कुछ कमाता नहीं जैसे मंगतराय । ११. पांच अंग लागू करके दिखाओ- यह रोगी अभी मरा नहीं है; शब्द परिणामी है; अग्नि गर्म है; अन्न प्राण हैं; जगत किसी ईश्वर का बनाया हुआ नहीं है । १२. बताओ निम्न हेतु किस-किस नाम के हैं वस्तु अनेकान्त स्वरूप है क्योंकि सत् है; इस मनुष्य में आत्मा है क्योंकि चेष्टा देखी जाती है; जीव चेतन होता है क्योंकि जानता देखता है; अग्नि दाहक है क्योंकि उससे वस्तुयें जल जाती हैं; यह व्यक्ति अवश्य पागल है क्योंकि पागलों की सी चेष्टा कर रहा है; यह घर अवश्य बसा हुआ है क्योंकि इसमें रात्रि को प्रकाश देखा जाता है । १३. निम्न के उदाहरण देकर समझाओ 6 केवल अन्वयी हेतु; केवल व्यतिरेकी हेतु; अन्वय व्यतिरेकी हेतु; बाधित विषय अकिंचित्कर हेतु; असिद्ध हेतु; विरुद्ध हेतु; अनैकान्तिक हेतु प्रत्यभिज्ञान; स्मृति, तर्क, समव्याप्ति; विषमव्याप्ति; स्वार्थ प्रमाण; परार्थ प्रमाण; साध्य; साधन; संशय; विपर्यय; अनध्यवसाय; प्रतिज्ञा हेतु; उपनय; निगमन; तिर्यक् सामान्य; ऊर्ध्वं सामान्य; एक द्रव्यगत सहभावी विशेष; अनेक द्रव्यगत सहभावी विशेष क्रमभावी विशेष सिद्ध साधन हेत्वाभास; अनुमान बाधित हेत्वाभास; लोक बाधित हेत्वाभास; आगमबाधित हेत्वाभास; प्रत्यक्ष बाधित हेत्वाभास । 1
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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