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१-न्याय
३-परोक्ष प्रमाणाधिकार
६९. सहभावी विशेष के कितने भेद हैं ?
दो हैं-एक द्रव्य में रहने वाले, दूसरे अनेक द्रव्यों में रहने वाले। ७०. एक द्रव्य में रहने वाले सहभावी विशेष कौन से हैं ?
एक द्रव्य के अपने अनेक गुण उसके सहभावी विशेष हैं। ७१. अनेक द्रव्यों में रहने वाले सहभावी विशेष कौन से हैं ?
पशु सामान्य में गाय घोड़ा आदि की विशेषता अथवा अनेक
गौओं में काली भूरी आदि की विशेषता। (७२) क्रमभावी विशेष किसे कहते हैं ? ।
क्रम से होने वाले वस्तु के विशेष को क्रमभावी विशेष अथवा
पर्याय कहते हैं। (७३) प्रमाणाभास किसको कहते हैं ?
मिथ्याज्ञान को प्रमाणाभास कहते हैं। (७४) प्रमाणामास कितने हैं ?
तीन हैं—संशय, विपर्यय, अनध्यवसाय । (७५) संशय किसको कहते हैं ?
विरुद्ध अनेककारी स्पर्श करने वाले ज्ञान को संशय कहते हैं,
जैसे 'यह सीप है या चान्दी' । (७६) विपर्यय किसे कहते हैं ?
विपरीत एक कोटी स्पर्श करने वाले ज्ञान को विपर्यय कहते हैं,
जैसे-सीप को चान्दी जानना। (७७) अनध्यवसाय किसे कहते हैं ?
'यह क्या है' ऐसे प्रतिभास को अनध्यवसाय कहते हैं, जैसे मार्ग चलते हुए को तृण (चुभने) का ज्ञान ।
प्रश्नावली १. निम्न के लक्षण करोप्रमाण; प्रत्यक्ष प्रमाण; परोक्ष प्रमाण; स्वार्थ प्रमाण; परार्थ प्रमाण; स्मृति प्रत्यभिज्ञान; विलक्षण प्रत्यभिज्ञान; सादृश्य