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१-न्याय
३-परोक्ष प्रमाणाधिकार
(३५) विपक्ष किसको कहते हैं ?
जहां साध्य के अभाव का निश्चय हो, जैसे-अग्नि से तपा
हुआ लोहे का गोला। (३६) अकिचित्कर हेत्वाभास किसको कहते हैं ?
जो हेतु कुछ भी कार्य (साध्य की सिद्धि) करने में समर्थ न हो। (३७) अकिंचित्कर हेत्वाभास के कितने भेद हैं ?
दो हैं—एक सिद्ध साधन दूसरा बाधित विषय । (३८) सिद्ध साधन किसे कहते हैं ?
जिस हेतु का साध्य सिद्ध हो, जैसे--अग्नि गर्म है, क्योंकि
स्पर्शन इन्द्रिय से ऐसा प्रतीत होता है। (३६) बाधित विषय हेत्वाभास किसे कहते हैं ?
जिस हेतु के माध्य में दूसरे प्रमाण से बाधा आवे । (४०) बाधित विषय हेत्वाभास के कितने भेद हैं ?
प्रत्यक्ष बाधित, आगम वाधित, अनुमान बाधित, स्ववचन
बाधित आदि अनेक भेद हैं। (४१) प्रत्यक्ष बाधित किसको कहते हैं ?
जिसके साध्य में प्रत्यक्ष से बाधा आवे, जैसे 'अग्नि ठण्डी है'
क्योंकि यह द्रव्य है। यह तो प्रत्यक्ष बाधित है। (४२) अनुमान बाधित किसको कहते हैं ?
जिसके साध्य में अनुमान जैसे बाधा आवे,जैसे-घास आदि कर्ता की बनाई हुई है, क्योंकि ये कार्य हैं । परन्तु इसमें अनुमान से बाधा आती है कि-घास आदि किसो की बनाई हुई नहीं हैं, क्योंकि इनका बनाने वाला शरीरधारी नहीं है। जो-जो शरीरधारी की बनाई हुई नहीं हैं वे-वे वस्तुयें कर्ता की बनाई हुई नहीं हैं, जैसे आकाश । आगम बाधित किसको कहते हैं ? शास्त्र से जिसका साध्य बाधित हो, उसको आगम बाधित कहते हैं, जैसे पाप सुख का देने वाला है, क्योंकि यह कर्म है ।