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१- न्याय
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(२७) अनुमान किसको कहते हैं ?
साधन से साध्य के ज्ञान को अनुमान कहते हैं ।
(२८) हेत्वाभास किसको कहते हैं ? सदोष हेतु को।
३ - परोक्ष प्रमाणाधिकार
( २ ) हेत्वाभास के कितने भेद हैं ?
चार हैं- असिद्ध, विरुद्ध, अनैकान्तिक व अकिंचित्कर | (३०) असिद्ध हेत्वाभास किसे कहते हैं ?
जिस हेतु के अभाव का निश्चय हो, अथवा उसके सद्भाव में सन्देह हो, उसे असिद्ध हेत्वाभास कहते हैं, जैसे- ' शब्द नित्य है' क्योंकि नेत्र का विषय है । परन्तु शब्द कर्ण का विषय है ने का नहीं हो सकता, इसका 'नेव का विषय ' यह हेतु असिद्ध हेत्वाभास है ।
(३१) विरुद्ध हेत्वाभास किसको कहते हैं ?
साध्य से विरुद्ध पदार्थ के साथ जिसकी व्याप्ति हो, उसको विरुद्ध हेत्वाभास कहते हैं, जैसे- शब्द नित्य है, क्योंकि परिणामी है । इस अनुमान में परिणामी की व्याप्ति अनित्य के साथ है नित्य के साथ नहीं । इसलिये नित्यत्व पक्ष में 'परिणामी हेतु' विरुद्ध हेत्वाभास है ।
(३२) अनैकान्तिक ( व्यभिचारी) हेत्वाभास किसे कहते हैं ?
जो हेतु पक्ष, सपक्ष और विपक्ष इन तीनों में व्यापै उसको अनैकान्तिक हेत्वाभास कहते हैं, जैसे- इस कोठे में धूम है, क्योंकि इसमें अग्नि है । यह 'अग्नित्व' हेतु पक्ष, सपक्ष व विपक्ष तीनों में व्यापक होने से अनैकान्तिक हेत्वाभास है । (३३) पक्ष किसको कहते हैं ?
जहां साध्य के रहने का शक हो, जैसे ऊपर के दृष्टान्त में कोठा ।
(३४) सपक्ष किसको कहते हैं ?
जहां साध्य के सद्भाव का निश्चय हो, जैसे धूम का सपक्ष गीले ईंधन से मिली अग्नि है ।