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८/३ नय अधिकार
(१. नय सामान्य) १. नय किसको कहते हैं ?
(क) वक्ता के अभिप्राय को नय कहते हैं । (ख) वस्तु के एक धर्म के जानने वाला ज्ञान नय है। (ग) श्रुत ज्ञान के विकल्प को नय कहते हैं।
(घ) एकान्त ग्रहण को नय कहते हैं। २. नय कितने प्रकार के होते हैं ?
दो प्रकार के सम्यक व मिथ्या । ३. सम्यक् नय किसको कहते हैं ?
सापेक्ष नय सम्यक् होती है, अर्थात अन्य नय या विवक्षा द्वारा गौण रूप से अविवक्षित धर्मो को भी स्वीकार करने
वाली नय सम्यक् है ! ४. मिथ्या नय किसको कहते हैं ? निरपेक्ष नय मिथ्या होती है, अर्थात अपेक्षा का लोप कर देने के कारण अन्य धर्मों का सर्वथा निषेध करने वाली नय मिथ्या है। ५. नय का कथन कितने प्रकार से होता है ? दो प्रकार से--आगम पद्धति से व अध्यात्म पद्धति से।
(२. आगम पद्धति) ६. आगम पद्धति किसको कहते हैं ?
जिसमें केवल पदार्थ के सामान्य विशेषात्मक स्वरूप का अथवा