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-स्याद्वाद
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२-अनेकान्ताधिकार ६. अतत् किसको कहते हैं ?
द्रव्य का स्वरूप गुण पर्याय रूप बिल्कुल नहीं है और गुण पर्याय का स्वरूप द्रव्य रूप बिल्कुल नहीं है । इसी प्रकार एक गुण का स्वरूप अन्य गुण रूप बिल्कुल नहीं है। इसे ही पहले
तद्भाव कहा गया है। ७. एक किसको कहते हैं ?
द्रव्य अपने गुण पर्यायों के साथ तन्मय रहने के कारण एक है।
अथवा अनेक पर्यायों में अनुस्यूत वह एक है । ८. अनेक किसको कहते हैं ?
‘पदार्थ द्रव्य गुण व पर्याय का भेद करने पर अनेक रूप दीखता है । अथवा द्रव्य की व्यञ्जन पर्यायों की ओर लक्ष्य करने से
वह अनेक रूप है। ९. नित्य किसको कहते हैं ?
अनेक पर्यायों में अनुगत ऊर्वता सामान्य रूप द्रव्य नित्य है। १०. अनित्य किसको कहते हैं ?
पदार्थ में सब तन्मय होने से, पर्याय के उत्पन्न व नष्ट होने पर
द्रव्य ही उत्पन्नध्वंसी दीखता है। ११. पदार्थ में ये धर्म किस प्रकार रहते हैं ?
परस्पर में एकमेक होकर रहते हैं; अथवा इनको आदि लेकर
पदार्थ अनन्त धर्मों का एक रसात्मक पिंड है।। १२. परस्पर विरोधी होते हुए भी ये धर्म पदार्य में मंत्री भाव से
कैसे रहते हैं ? क्योंकि सामान्य विशेषात्मक ही पदार्थ का स्वरूप है, अकेले सामान्य या अकेले विशेष रूप नहीं । सामान्य का विशेष के
साथ कोई विरोध नहीं। १३. युग्म चतुष्टय में सामान्य व विशेषपना क्या है ? (क) 'सत्-असत' धर्म-युगल तिर्यक सामान्य में व्यतिरेकी
विशेष को उत्पन्न करता है।