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१-न्याय
-प्रत्यक्ष प्रमाणाधिकार
२२. मन में स्थित पदार्थ से क्या तात्पर्य ?
मानसिक संकल्प विकल्प का नाम ही मन में स्थित पदार्थ
२३. ज्ञानात्मक होने के कारण मानसिक संकल्प विकल्प
तो अमर्तीक होते हैं, उन्हें मनःपर्यय ज्ञान कैसे जाने ? ज्ञयाश्रित तथा देशकालावच्छिन्न ज्ञान भी विशेष आकार
प्रकार का होने के कारण मूर्तीक ही माना जाता है। (२४) सकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ?
केवलज्ञान को। २५. केवलज्ञान किसे होता है ?
अर्हन्तों व सिद्धों के अतिरिक्त अन्य किसी को नहीं होता। (२६) केवलज्ञान किसे कहते हैं ?
जो त्रिकालवर्ती समस्त पदार्थों को (युगपत) स्पष्ट जाने ।
(विशेष देखिए आगे अध्याय २ अधिकार ४) । २७. युगपत जानने से क्या तात्पर्य ?
जिस प्रकार हम एक पदार्थ को छोड़कर दूसरे पदार्थ को जानते हैं, उस प्रकार केवलज्ञान अटक-अटककर नहीं जानता। वह सब कुछ एकदम जान लेता है और सदा जानता ही रहता है।
प्रश्नावली १. प्रमाण किसे कहते हैं ? २. ज्ञान को प्रमाण कहते हैं, ऐसा कहने में क्या दोष आता है ? ३. ज्ञान बड़ा है या प्रमाण ? ४. प्रत्यक्ष ज्ञान का क्या अर्थ है ? ५. प्रत्यक्ष प्रमाण के सर्व भेद प्रभेद बताओ। ६. एक देश-प्रत्यक्ष से क्या समझे ? ७. द्रव्य क्षेत्रकाल भाव की मर्यादा से क्या समझे ?