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षष्टम अध्याय
(तत्वार्थ) १ नव पदार्थाधिकार
१. तत्व किसको कहते हैं ?
द्रव्य के भाव या स्वभाव को तत्व कहते हैं ! २. द्रव्य व तत्व में क्या अन्तर है ?
द्रव्य तो स्वभाव व गुणों का आश्रय है और ताव उसके आश्रित है। द्रव्य में प्रदेशात्मक क्षेत्र प्रधान है और तत्व में भावात्मक
गुण प्रधान है। ३. पदार्थ किसको कहते हैं ?
द्रव्य गुण, पर्याय, अथवा उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य ; अथवा सामान्य विशेष; अथवा द्रव्य, क्षेत्र, काल भाव इन मभी से पृथक पृथक भी पदार्थ कहा जा सकता है और इकट्ठा करके इन सबके एक अखण्ड रूप को भी पदार्थ कहा जा सकता है । अतः ‘पदार्थ'
शब्द अति व्यापक है। ४. वस्तु किसको कहते हैं ?
जो अपने प्रयोजनभूत कार्य को मिद्ध करने वाली हो उसको वस्तु कहते हैं । जैसे गोत्व नाम की सामान्य जाति स्वयं अवस्तु है, क्योंकि उससे दूध दुहने रूप प्रयोजन की सिद्धि नहीं होती है; और 'गो' नाम का पशु वस्तु है, क्योंकि उससे वह
प्रयोजन सिद्ध होता है। ५. तत्व कितने हैं ?
सात हैं-जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष ।