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________________ १-न्याय १-लक्षणाधिकार ६. हेतु अर्थात् क्या? ज्ञान का जो विकल्प या शब्द पदार्थ की विशेषता दर्शाने में कारण पड़े, वही हेतु है। (७) लक्षण के कितने भेद हैं ? दो हैं-एक आत्मभूत और दूसरा अनात्मभूत । (८) आत्मभूत लक्षण किसे कहते हैं ? जो वस्तु के स्वरूप में मिला हो; जैसे अग्नि का लक्षण उष्णपना करें। अनात्मभूत लक्षण किसको कहते हैं ? जो वस्तु के स्वरूप में मिला न हो; जैसे-दण्डी पुरुष का लक्षण दण्ड। (१०) लक्षणाभास किसे कहते हैं ? जो लक्षण सदोष हो। (११) लक्षण के दोष कितने हैं ? तीन हैं-अव्याप्ति, अतिव्याप्ति व असम्भव । (१२) लक्ष्य किसे कहते हैं ? | जिसका लक्षण किया जाये, उसे लक्ष्य कहते हैं । १३. आत्मभूत लक्षण के अभेद पदार्थ में लक्ष्य-लक्षण भेद कैसे बन सकता है ? लक्षण सर्वथा अभेद नहीं है, ज्ञान द्वारा भेद जाना जाता है । . १४. अनात्मभूत लक्षण के सर्वथा भिन्न पदार्थों में लक्ष्य-लक्षण भाव कसे सम्भव है ? ऐसा व्यवहार देखा जाता है। (१५) अव्याप्ति दोष किसे कहते हैं ? लक्ष्य के एक देश में लक्षण के रहने को अव्याप्ति दोष कहते हैं; जैसे पशु का लक्षण सींगवाला करना।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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