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प्रथमोध्याय
(न्याय) १/१ लक्षणाधिकार
मंगलं भगवान वीरो मंगलं गौतमो गणी।
मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैन धर्मोस्तु मंगलं ॥ नोट :-कोष्ठक के प्रश्न जैन सिद्धान्त प्रवेशिक के हैं, शेष स्वकृत हैं। (१) पदार्थों को जानने के कितने उपाय हैं ?
चार उपाय हैं-लक्षण, प्रमाण, नय व विक्षेप । २. पदार्थों को जानने से क्या लाभ है ?
पदार्थों के ज्ञान से सम्यग्दर्शन होता है और उससे परम्परा
मोक्ष। ३. एक ही उपाय का प्रयोग करें तो क्या बाधा है ?
विशद व यथार्थ ज्ञान न हो सकेगा। (४) लक्षण किसको कहते हैं ? . बहुत से मिले हुए पदार्थों में से किसी एक पदार्थ को जुदा करने
वाले हेतु को लक्षण कहते हैं । जैसे जीव का लक्षण चेतना। ५. अनेक पदार्थों में से एक एक पदार्थ को हाथ द्वारा जुदा करने
से क्या पदार्थ का लक्षण कर दिया गया? नहीं ! हाथ द्वारा जुदा करने का तात्पर्य नहीं है बल्कि हेतु द्वारा जुदा करने का तात्पर्य है।