________________
३ - कर्म सिद्धान्त
२०३
२- उदय उपशम आदि
धुंधलापन या दोष उत्पन्न होता रहता है । यही देशघाती स्पर्धकों का उदय कहलाता है । ये तीनों बातें जिसमें पाई जावें उसे क्षयोपशम कहते हैं ।
(१३) निषेक किसको कहते हैं ?
एक समय में कर्म के जितने परमाणु उदय में आवें उन सबके समूह को निषेक कहते हैं ।
(१४) स्पर्धक किसको कहते हैं ?
वर्गणाओं के समूह को स्पर्धक कहते हैं ।
(१५) वर्गणा किसको कहते हैं
?
वर्गों के समूह को वर्गणा कहते हैं ।
(१६) वर्ग किसको कहते हैं ?
समान अविभाग प्रतिच्छेदों के धारक प्रत्येक कर्म वर्ग कहते हैं ।
परमाणु को
(१७) अविभाग प्रतिच्छेद किसको कहते हैं ?
शक्ति के अविभागी अंशों को अविभाग प्रतिच्छंद कहते हैं । (१८) इस प्रकरण में 'शक्ति' शब्द से कौन सी शक्ति इष्ट है ? यहां 'शक्ति' शब्द से कर्मों की अनुभाग रूप अर्थात फल देने की शक्ति इष्ट है ।
(१६) उत्कर्षण किसे कहते हैं ?
कर्मों की स्थिति व शक्ति दोनों के बढ़ जाने को उत्कर्षण कहते हैं ।
(२०) अपकर्षण किसको कहते हैं ?
कर्मों की स्थिति व शक्ति के घट जाने को अपकर्षण कहते हैं । (२१) संक्रमण किसको कहते हैं ?
किसी कर्म के सजातीय एक भेद से दूसरे भेद रूप हो जाने को संक्रमण कहते हैं ।
(२२) समय प्रबद्ध किसको कहते हैं ?
एक समय जितने कर्म व नोकर्म परमाणु बन्धे उतने सबको एक समय प्रबद्ध कहते हैं ।