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२- द्रव्य गुण पर्याय
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५- पर्यायाधिकार
अन्तर्मुहूर्त मात्र टिकने वाली क्षण स्थायी कही जाती है । ४१. व्यञ्जन व अर्थ पर्याय पर ये लक्षण घटित करो ?
व्यञ्जन या द्रव्य पर्याय चिरकाल स्थायी हैं, क्योंकि द्रव्य का आकार क्षण क्षण में बदलता दिखाई नहीं देता, सारी आयु पर्यंत एक ही रहता है जैसे मनुष्य का आकार । बाहर में व्यक्त होने से यह स्थूल व छद्मस्थ ज्ञान गम्य है । अर्थ या गुण पर्याय अन्दर ही अन्दर परिणमन करने से अव्यक्त है और इसी लिये सूक्ष्म । परिणम क्षण प्रति क्षण बराबर होता रहता है इसलिये केवल ज्ञान गम्य है ।
४२. व्यञ्जन पर्याय भी तो क्षण प्रति क्षण बदलती है ?
एक ही मनुष्य पर्याय में बालक युवा वृद्ध आदि पर्यायों के रूप में यद्यपि व्यञ्जन पर्यायें भी क्षण क्षण में बदलती हैं पर उसका बाह्य व्यक्त रूप फिर भी चिरस्थायी ही रहता है; जैसे २ वर्ष शिशु. २ वर्ष किशोर, ४ वर्ष बालक, २० वर्ष युवा, २० वर्ष प्रौढ़ आदि । इनमें जो क्षण क्षण प्रति सूक्ष्म परिवर्तन होता है वह व्यवहार गम्य नहीं है ।
४३. विभाव व स्वभाव व्यञ्जन पर्यायें कितनी कितनी देर टिकती
हैं ?
विभाव व्यञ्जन पर्यायें अन्तर्मुहूर्त से लेकर सागरों पर्यंत टिकती हैं, जैसे निमोदिया पर्याय व सर्वादेव पर्याय | स्वभाव व्यञ्जन पर्याय सदा एक सी रहती है, बदलती नहीं, न ही वहां प्रदेशों में परिस्पन्दन होता है, जैसे सिद्ध पर्याय या धर्मास्तिकाय का आकार ।
४४. विभाव व स्वभाव अर्थ पर्यायें कितनी कितनी देर टिकती हैं ? विभाव अर्थ पर्यायें कम से कम क्षुद्र अन्तर्मुहुर्त और अधिक से अधिक कुछ बड़ा अन्तर्मुहुर्त पर्यन्त ही टिकती हैं । जैसे सूक्ष्म व स्थूल क्रोध । स्वभाव अर्थ पर्याय केवल एक समय स्थायी है ।