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२-द्रव्य गुण पर्याय
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५-पर्यायाधिकार व्यञ्जन पर्याय कहते हैं । जैसे जीव की सिद्ध पर्याय । (३२) विभाव व्यञ्जन पर्याय किसे कहते हैं ?
दूसरे के निमित्त से जो व्यञ्जन पर्याय हो उसे विभाव व्यञ्जन
पर्याय कहते हैं, जैसे जीव की नारकादि पर्याय । (३३) अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ?
प्रदेशत्व गुण के सिवाय अन्य समस्त गुणों के विकार को अर्थ
पर्याय कहते हैं। ३४. गुण पर्याय व अर्थ पर्याय में क्या अन्तर हैं ? ।
दोनों एकार्थवाची हैं, क्योंकि दोनों का सम्बन्ध द्रव्य के भावा
त्मक गुणों से है। (३५) अर्थ पर्याय के कितने भेद हैं ?
दो हैं-स्वभाव अर्थ पर्याय व विभाव अर्थ पर्याय । (३६) स्वभाव अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ?
बिना दूसरे निमित्त के जो अर्थ पर्याय हो उसे स्वभाव अर्थ
पर्याय कहते हैं; जैसे जीव की केवल ज्ञान पर्याय । (३७) विभाव अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ?
पर के निमित्त से जो अर्थ पर्याय हो उसे वि में वह भार्याय
कहते हैं। जैसे जीव के रागद्वेषादि । देशों में प्रदेश ३८. व्यञ्जन व अर्थ पर्याय को अन्य विशेषतायें दध के आकार
व्यञ्जन पर्याय छद्मस्थ ज्ञानगम्य, चिरस्थायी, स्थूल होती है, और अर्थ पर्याय केवलज्ञान गर वचन अगोचर व सूक्ष्म होती है।
हर ३९. स्थूल व सूक्ष्म पर्याय से क्या समझे ?
बाहर में व्यक्त होने वाली पर्याय स्थूल तथा अव्यक्त रहकर
अन्दर ही अन्दर होने वाली सूक्ष्म होती है। ४०. चिर स्थायी व क्षण स्थायी से क्या समझे?
कुछ मिनट, घन्टे, दिन, महीने, वर्ष या सागरों पर्यन्त टिकने वाली पर्याय चिरस्थायी होती है और एक समय या क्ष द्र