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२-व्रज्य गुण पर्याय
१३५ ४-जीव गुणाधिकार १६७. अवधि ज्ञान से पूर्व कौन सा वर्शन होता है ?
अवधि दर्शन १६८. मन पर्यय ज्ञान से पहिले कौन सा दर्शन होता है ?
मनोमति ज्ञान पूर्वक होने से वह ज्ञान ही इसके दर्शन के स्थान
पर है। अतः पृथक से इसके दर्शन की कोई आवश्यकता नहीं। १६६. केवल ज्ञान से पहिले कौन सा दर्शन होता है ?
केवल ज्ञान से पहले नहीं बल्कि उसके साथ साथ केवल दर्शन होता है, क्योंकि उसमें दर्शन ज्ञान का क्रम नहीं होता।
(६. सम्यक्त्व) (१७०) सम्यक्त्व गुण किसको कहते हैं !
जिस गुण के प्रगट (व्यक्त) होने पर अपने शुद्ध आत्मा का
प्रतिभास हो उसको सम्यक्त्व गुण कहते हैं। १७१. सम्यक्त्व व सम्यग्दर्शन में क्या अन्तर है ?
सम्यक्त्व गुण है और सम्यग्दर्शन उसकी पर्याय । १२. सम्यक्त्व गुण की कितनो पर्याय होती है ?
दो होती हैं-एक मिथ्यादर्शन, दूसरी सम्यग्दर्शन । १७३. मिथ्या दर्शन किसे कहते हैं ?
तत्वों में तथा आत्मा के स्वरूप में विपरीत व अन्यथा श्रद्धा
को मिथ्यादर्शन कहते हैं जैसे शरीर को 'मैं' रूप समझना। १७४. मिथ्यादर्शन के कितने भेद हैं ?
एकान्त, विपरीत संशय, अज्ञान व विषय इस प्रकार पांच भेद
हैं। उनका विस्तार आगे अध्याय ३ में किया गया है। १७५. सम्यग्दर्शन किसे कहते हैं ?
तत्वों में तथा आत्म के स्वरूप में समीचीन श्रद्धा को सम्यग्दर्शन कहते हैं; जैसे शरीर को जड़ और आत्मा को चेतन प्रकाश रूप समझना ।