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२-ग्य गुण पर्याय,
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४-जीव गुणाधिकार द्वारा दिये गये हेतु उदाहरण आदि पर से किसी अन्य विषय
का निर्णय किया जाता है, इत्यादि । ७६. क्या मतिज्ञान पूर्वक ही श्रुत ज्ञान होता है या अन्य प्रकार
भी ? कल्पना ज्ञान में पहिली कल्पना तो मतिज्ञान पूर्वक होती है
और आगे आगे की सर्व कल्पनायें अपने से पूर्व वाली कल्पनाओं के आधार पर होने से श्रुतज्ञान पूर्वक होती हैं। BE. मति ज्ञान व अत ज्ञान में क्या अन्तर है ?
इन्द्रिय प्रत्यक्ष द्वारा या स्मति द्वारा जो प्रथम ज्ञान होता है वह तो मतिज्ञान है। उस विषय से सम्बन्ध रखने वाला अगला
जो कड़ीबद्ध ज्ञान होता है, वह सब श्रुतज्ञान है। ८०. मति व श्रुतज्ञान में कौन प्रत्यक्ष हैं और कौन परोक्ष ?
इन्द्रिय प्रत्यक्ष वाला मतिज्ञान सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष है, स्मृति आदि रूप मतिज्ञान परोक्ष है और श्रतज्ञान के मारे
विकल्प परोक्ष हैं। ११. श्रत ज्ञान किस इन्द्रिय के निमित्त से होता है ?
हिताहित रूप श्रुतज्ञान में कोई इन्द्रिय विशेष निमित्त नहीं है, क्योंकि वह संस्कारवश केवल हिताहित के अभिप्राय की अवधारणा रूप से होता है, पदार्थ के आकार रूप से नहीं। घेत ज्ञान के अन्य सर्व विकल्प मन के निमित्त से होते हैं।
अन्य कोई भी इन्द्रिय श्र तज्ञान में निमित्त नहीं। ८२. तब मनोमति ज्ञान व श्रुतज्ञान में क्या अन्तर है ?
पूर्व दृष्ट श्रुत या अनुभूत पदार्थ की स्मृति प्रत्यभिज्ञान व तर्क तो मनोमति ज्ञान के विकल्प हैं और तदाश्रित अन्य अन्य
विषयों का ज्ञान श्रुत है। २३. भूत जान किसे होता है ?
सभी जीवों को होता है।