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२-द्रव्य गुण पर्याय
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३-गुणाधिकार कारण एक गुण दूसरे गुण रूप नहीं हो सकता। अगुरुलघुत्व
के द्वितीय लक्षण पर से यह बात जानी जाती है। ७६. बूढ़े व्यक्ति में ज्ञान व विवेक नहीं रहता?
ऐसा नहीं है, क्योंकि अगुरुलघुत्व गुण के कारण ये दोनों गुण उससे जुदा नहीं हो सकते। अगुफलघुत्व के तृतीय लक्षण पर
से यह जाना जाता है। ७७. एकेन्द्रिय जीव में गुण कम होते हैं और पंचेन्द्रिय में अधिक ।
नहीं; सभी जीवों में गुण समान होते हैं, भले ही किसी जीव में वे कम व्यक्त और किसी में अधिक । अगुरुलघुत्व गुण के कारण किसी के भी उसमें से निकल नहीं सकते और न किसी में प्रवेश कर सकते हैं । अगुरुलघुत्व के तृतीय लक्षण परसे यह
बात जानी जाती है। ७८. परमाणु में स्पर्श के चार गुग कम होते हैं और स्कन्ध में
अधिक ऐसा आगम में कहा है ? परमाणु व स्कन्ध के गुणों में हीनाधिकता नहीं है, बल्कि गुणों की पर्यायों के व्यक्त होने में हीनाधिकता है । दूसरी बात यह भी है कि हलका भारी कठोर व कोमल ये चार जो स्पर्श कहे गये हैं वे स्पर्श गण की पर्याय नहीं है, बल्कि स्कन्ध में एक दूसरे की अपेक्षा रखकर देखे जाने वाले धर्म हैं। अगुरुलघु गुग के कारण गुण घट बढ़ नहीं सकते, यह वात अगुरुलघुत्व के तृतीय लक्षण पर से जानी जाती है। अगुरुलघु गुण से तुम्हारा क्या प्रयोजन ? मैं जीव हूँ शरीर नहीं । सिद्ध भगवान के समान ही पूर्ण गुणों का भण्डार हैं, इसलिये निराश न होकर शरीर में से अपनत्व बुद्धि निकालूं और अपने स्वरूप के दर्शन करू ।
(७ प्रदेशत्व गुण) (८०) प्रदेशत्व गुण किसे कहते हैं ?
जिस शक्ति के निमित्त से द्रव्य का कुछ न कुछ आकार अवश्य हो।
७६.