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२-द्रव्य गुण पर्याय
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३-गुणाधिकार पर्याय निरन्तर बदलती रहें। ४१. द्रव्य एकसा न रहने से क्या समझे ? क्या वह बदल कर अन्य
रूप हो जाता है ? द्रव्य नहीं बदलता, बल्कि उसकी हालतें जल प्रवाहवत् सदैव बदलती रहती हैं। 'द्रव्यत्व' शब्द से क्या तात्पर्य ?
द्रव्यत्व अर्थात् प्रवाहित रहने या रिसते रहने का स्वभाव। ४३. द्रव्यत्व व वस्तुत्व गुण में क्या अन्तर है ?
वस्तुत्व गुण द्रव्य के कार्यक्षेत्र की सीमा बाँधता है कि वह अपना ही प्रयोजनभूत कार्य कर सकेगा, प्रत्येक कार्य नहीं । द्रव्यत्व गुण वस्तु के परिणमन स्वभाव की सिद्धि करता है, अर्थात् एक क्षण को भी रुके बिना निरन्तर द्रव्य की अवस्थायें (पर्याय) सूक्ष्म रूप से अन्दर ही अन्दर बदलती रहती है, ऐसा
स्वभाव ही है। ४४. द्रव्यत्व गुण की व्याख्या में निरन्तर शब्द का क्या महत्व ?
परिण मन में एक क्षण का भी अन्तराल नहीं पड़ता। एक क्षण को भी परिणमन नहीं रुकता। जल प्रवाहवत् उसकी सन्तति या धारा बराबर बनी रहती है। यही निरन्तर' शब्द
बताता है। ४५. द्रव्य को 'द्रव्य' संज्ञा क्यों दी गई ?
द्रव्यत्व गुण युक्त होने के कारण पदार्थ 'द्रव्य' कहलाता है । माता रो रही है कि उसका पुत्र मर गया। वह क्या भूलती है ? वह अस्तित्व व द्रव्यत्व गुण को भूल रही है । अस्तित्व गुण के कारण वह उसके पुत्र नाम वाला जीव नष्ट नहीं हुआ। द्रव्यत्व
गुण के कारण केवल उसकी अवस्था बदली है । ४७. संसार असार है यहां कुछ भी स्थायी नहीं । क्या भूल है ?
अस्तित्व व द्रव्यत्व गुणों की भूल है। अस्तित्व गुण की तरफ देखें तो संसार नाम की कोई चीज ही नहीं है। सत्ताधारी
४६. मा