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२-द्रव्य गुण पर्याय
३-गुणाधिकार
चेतन से जड़ नहीं बन सकता यही मेरा अगुरुलघुत्व है। मैं मनुष्य की आकृति या संस्थान वाला हूँ यह मेरा प्रदेशत्व है। ज्ञान दर्शन आदि मेरे विशेष गुण सर्व प्रत्यक्ष हैं।
(२. अस्तित्व गुण) (२१) अस्तित्व गुण किसे कहते हैं ?
जिस शक्ति के निमित्त से द्रव्य का कभी नाश न हो उसे
अस्तित्व गुण कहते हैं। २२. द्रव्य का नाश होने से क्या समझे ? (क) न कोई नया द्रव्य उत्पन्न हो सकता है और न कोई
पहिला द्रव्य नष्ट हो सकता है। जितने भी द्रव्य हैं वे अनादि काल से स्वतः सिद्ध हैं; उतने ही रहेंगे। उनमें
हानि वृद्धि नहीं हो सकती। (ख) अस्तित्व गुण के कारण द्रव्य ही नहीं बल्कि उसके गुण
भी विनष्ट नहीं हो सकते, न ही हीनाधिक हो सकते हैं,
क्योंकि गणों का समूह द्रव्य है । २३. आप की आयु कितनी है ?
मैं अनादि अनन्त हैं, क्योंकि अस्तित्व गण के कारण मैं कभी
मरा न मरूंगा। २४. आदिनाथ भगवान के समय में क्या आप थे ?
हां था, क्योंकि अस्तित्व गण के कारण मेरा कभी भी विनाश
नहीं हुआ। २५. क्या भगवान महावीर आज भी हैं ?
हां, हैं क्योंकि अस्तित्व गण के कारण उनका कभी नाश
नहीं हुआ। २६. द्रव्य की उत्पत्ति स्थिति व संहार करने वाला कौन ?
अस्तित्व गुण के कारण द्रव्य स्वयं अनादि सिद्ध है। न नया बनता है न नष्ट होता है। स्वयं रक्षित की रक्षा का प्रश्न नहीं। अतः उसकी उत्पत्ति स्थिति व संहार करने वाला कोई नहीं।