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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय ८२ २-द्रव्याधिकार २०३. 'अस्तिकाय' शब्द का अर्थ करो। 'अस्ति' का अर्थ है सत्ता रखना या होना तथा 'काय' का अर्थ है बहु प्रदेशी । अतः जिस द्रव्य में सत्ता व बहु प्रदेशीपना दोनों पाये जायें वह 'अस्तिकाय' है । २०४ काय का अर्थ बहु प्रदेशी कैसे ? काय शरीर को कहते हैं और वह नियम से वहु प्रदेशी होता है, परमाणुओं का संचय हुए बिना स्कन्ध, पिण्ड या शरीर का निर्माण सम्भव नहीं। (२०५) अस्तिकाय कितने हैं ? पांच हैं-जीव, पद्गल, धर्म, अधर्म और आकाश । २०६. काल द्रव्य को अस्तिकाय में क्यों नहीं गिना ? वह अस्ति तो अवश्य है क्योंकि उसकी सत्ता है, परन्तु कायवान नहीं है, क्योंकि एक प्रदेशी है। अत: उसे अस्ति कह सकते हैं पर अस्तिकाय नहीं। (२०७) पुद्गल परमाणु भी (कालाणुवत्) एक प्रदेशी है, तो वह अस्ति काय कैसे हुआ? पुद्गल परमाणु शक्ति की अपेक्षा अस्तिकाय है अर्थात स्कन्धरूप होकर बहु प्रदेशी हो जाता है। इसलिये उपचार से अस्निकाय कहा गया है। २०८. परमाणु की भांति कालाणु को भी उपचार से अस्तिकाय कह लीजिये? नहीं, क्योंकि उसमें स्कन्ध बनने की शक्ति का भी अभाव होने से तहाँ उपचार सम्भव नहीं। २०६. छहों द्रव्यों में कितने कितने प्रदेश हैं ? जीव, धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय तीनों समान होते हुए असंख्यात प्रदेशी हैं । आकाश स्वयं अनन्त प्रदेशी है परन्तु लोकाकाश वाला भाग धर्मास्तिकाय के समान असंख्यात प्रदेशी है। पुद्गल परमाणु एक प्रदेशी है और स्कन्ध संख्यात
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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