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in पांडव तान
भावसहित
हि भये।
६२] नैनसिद्धांतसंग्रह। भावसहित करजोड़ि | श्रीगिरनारशिखर विख्यात । कोड़ि चहत्तर अरु सौ सात || संबु प्रदुम्न कुमर है भाय | अनिरुषआदि । नमू तसु पाय | रामचंद्रके सुत द्वै वीर । लाइनरिंद आदि । गुणधीर ॥ पांच कोड़ि मुनि मुक्तिमझार । पावागिरि वदानिरवार ।
। पांडव तीन द्रविड राजान आठकोड़ि मुनि मुकति पयान । श्रीशQजयांगरिक सीस । भावसहित वदों निश दीस.॥णाने बलिभद्र मुकतिमें गये | आठकोड़ि मुनि औरहिं मये। श्रीगन'पंथशिखर मुविशाल। तिनके चरण न तिहुं काल राम हलू सुग्रीव मुडील | गवगवास्य नील महांनील । कोहि निन्याण मुक्तिपयान · तुंगीगिरी बंदी धरि ध्यान ॥९.नंग अनंग कुमार सुजान | पंचकोड़ि अरु अर्धप्रमान ॥ मुक्ति गये सोनागिर शीस। ते बंदों त्रिभुवनपति ईश। ८॥ रावणके मुत आदि कुमार । मुक गये रेवातट सार || कोडि पंच अरु लाख पचास । ते वदों घर परम हुलास | ॥रवानदी सिद्धवरकूट । पश्चिमदिशा देह जहँ छूट ॥ द्वै चक्री दश कामकुमार । ऊठकोड़ि वंदी भवपार ॥१२॥ बड़वाणी वडनयर सुचंग । दक्षिण दिश गिरिचूल उतग। इंद्रनीत अरु कुंम जु कर्ण । ते बदौं भवसायरतर्ण ॥१॥ मुवरणमद्रआदि मुंनि चार । पावागिरिवर शिखरमंझार ॥ चलना नदी तीरके पास । मुक्ति गये वर्दी -नित तास .||१|| फळहोड़ी बड़गाम अनुर पश्चिमदिशा द्रोणगिरिरूप ॥ गुरुदत्तादि -मुनीसुर जहाँ मुक्ति गये बंदी. नित तहाँ ॥ १५ ॥ बाल महाबाल मुनि दाय । नागकुमार मिले त्रय होय ॥ श्रीमष्टापद . मुक्तिमंझार । ते बौं नित सुरतसमार ॥१९॥ अचलापुरकी दिश