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मैनसिद्धांतसंग्रहा . [२९९ विशाल ॥ कहत अल्प बुध उकसो, सुखदायक जयमाल ॥२॥चोपाई-सिद्धक्षेत्र तीरथ सुखदाई । वंदत पाप दूर हो नाई। शिखिर शीसपर कूट मनोग। कहे वीस अतिशय संयोग ॥ ३ ॥ प्रथम सिद्ध शुभ कूट सुनाम | अनितनाथ कौं मुक्ति सु घाम 1. कूट तनौ दर्शन फल कहौ । कोडि बत्तीस उपास फल. लहौ ॥ १ ॥ दुनो धवल कूट है नाम । संभव प्रभु नहते. निर्वाण ।। कूट दरश फल प्रोषध मानौ । लाख पालिस कहै वखानौ ॥ ५॥ मानंद कूट महां सुखदाई । जहं ते अमिनन्दन शिव नाई ।। कूट तनौ वंदन हम जानौ । लाख उपास तनौ फलमानौ ॥ ६ ॥ अवचल कूट महामुख वेश । मुक्ति गए तह
मुमति जिनेश । कूट भावधर पूजे कोई। एक कोड़ प्रोषध फल. होई ॥ ७ ॥ मोहन कूट मनोहर नान | पद्मासु जहते निर्वाण ॥
कूट पुन्य फल लहै सुजान | कोड़ उपास कहै भगवान ॥ ८॥ मन मोहन शुभ कूट प्रभास । मुक्ति गये जहत श्रीयांस || पून कूट महां फळ होय। कोड़ बत्तीस उपवास जु सोय ॥९॥ चन्द्रप्रभु को मुक्तिमु धाम | परम विशाल ललित घट नाम । दर्शन कूट तनौ इम मानौ । प्रोषध सोला लाख बखानौ ॥१०॥ सुप्रभ कूट महा सुखदाई । जहते पुष्पदंत शिव नाई ॥ पूर्भ
कूट महा फक होय । कोड़ उपास कहौ मिनदेव ॥ ११ ॥ सो .विद्युतवर कूट महान । मोक्ष गये शीतल घर ध्यान । पूनै त्रिविध · योग कर कोई । कोड़ उपास तनौ फल होई ॥ १२ ॥ संकुल कूट महां शुभ जानौ । जंहते श्री श्रीयांत भगवानों ।। कूटतनी र दर्शन सुनी। कोड उपाप्त.मिनेश्वर भनौ ॥ १३॥ संकुल : कूट