________________
जैनसिद्धांतसंग्रह-1.
नमस्ते । महां मौन गुण भूरि-नमस्ते ॥ धरम चक्रि वृष केतु, नमस्ते । मवसमुद्र शत सेतु नमस्ते ॥८॥ विद्याईश मुनीश नमस्ते। इन्द्रादिक नुत शीस नमस्ते ॥ जय रत्नत्रय राय नमस्ते । सकल: जीव सुखदाय नमस्ते ॥९॥ अशरण शरण सहाय नमस्ते । मव्य. सुपन्थ लगाय नमस्ते ॥ निराकार साकार नमस्ते।.एकानेक अधार, नमस्ते ॥१०॥ लोकालोक विलोक नमस्ते । त्रिधा सर्व गुण थोक: नमस्ते । सल्ल दल दल मल्ल नमस्ते । कल्ल मल्ल जित लल नमस्ते: ॥११॥ मुक्ति मुक्ति दातार नमस्ते । उक्ति मुक्ति शृंगार नमस्ते गुण. अनन्त भगवन्त नमस्ते । जै जै जै जयवन्त नमस्ते ॥१५॥
इति पठित्वा जिनचरणाने परिपुष्पांजलि क्षिपेत् ।
(२५) छहवाला।
(पं० वुवजनकृत) सर्व द्रव्यमें सार, आतमको हितकार है।
नमों ताहि चितधारं, नित्य निरंजन जानके ॥ १ ' अथ प्रथम ढाल १६ मात्रा (चौपाई छन्द)
(इसमें जीवोंके संसारभ्रमणदुःखका कथन है)
आयु घटे तेरी दिनरात । हो निश्चिन्त रहो क्यों भ्रात ॥ यौवनतनधनकिकरनारि । हैं सब जलवुद बुद उनहारि ॥१॥ पूरे आयु बढ़े क्षणनाहिं । दियें कोड़ धन तरिय माहिं । इन्द्र चक्रपत भी क्या करें। आयु अन्तपर ते मी मरें ॥२॥ यो संसार . । जलबुद २-पानीके बुलबुले समान है। .... ,