________________
जैनसिद्धांतसंग्रह। दिनार देंहुं एक लक्ष सो गिनाय लीजिये। खंडेलवाल पोलिया-छु दोय लाख देउंगो । सुवाँटि केत मोलमैं जिनेन्द्रमाललेउँगो ॥१६॥ जु समरी कहें सु मेरि खानि लेहु नाय । सुवर्ण मानि देते हैं चितौड़िया बुलायके ।। अनेक भूप गांव देत रायसो चंदेरिका । खनान खोलि कोठरी सु देत अपरि मेरिका ॥१७॥ सुगोड़वाल यों कहै गयन्द वीस लीजिये । मदाय देउ हेमदन्त माल मोहि दीजिये । पमारके तुरङ्ग सानि देत हैं विना गने । लगाम नीन याहुड़े बड़ाउ हेमके बने ॥१८॥ कनौजिया कपूर देत गाड़ियां भरायके ।.सुहीर मोति लाल देत ओशवाल आयके ॥ मुहूंमड़ा हकारही हमैं न माल, देउगे । भराइये जिहाजमें कितेक.दाम लेउगे । १९॥ कितेक लोग आयके खड़ते हाथ.जोरि । कितक भूप देखिके चले जु बाग मोरिके ॥ कितेक सूम यों कहे-जु कैस लक्षि देत हो । लुटाय माल आपनों सु फूलमाल लेत हो.॥ २.० ॥ कई प्रवीन श्राविका मिनेन्द्रको बघावहीं । कई सुकंठ रागसों खड़ी जु·माल गावहीं । कईसु नृत्यकों करें नहैं अनेक भावहीं । कई मृदङ्ग तालपे सु अङ्गको फिरावहीं ॥२॥ कहैं गुरु उदार धी सु यों न माल पाइये । कराइये जिनेंद्र यज्ञ · विबहू भराइये ॥ चलाइये जु संघ 'जात संघही कहाईये । तबै
अनेक पुण्यसों अमोल माल पाइये ॥२२॥ सबोधि सर्व गोटिसी - "गुरू उतारके लई। बुलाय के भिनंद्रमाल संघरायको दई अनेक
हर्षसो करें जिनेंद्र तिलक पाईये । सुमाल श्री जिनेंद्रकी विनो. दीलाल गाइये । २३ ॥ .