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१०] जैनसिद्धांतसंग्रह। साहुको गर्ने । कहाँलों नाम वर्णिये सुदेखते समा बनें ॥पाखंडेलवालं जैसवाल अग्रवाल आइया । वघरवाल पोरवाल देशवाल छाइया ।। सहेलवाल दिल्लिवाल सेतवाल जातिके । बढेलवाल पुप्पभालं श्रीश्रिमाल पांतिक पासुमओसवाल पल्लिबाल चूरुवाल जानिये । परबार पोरवाल पद्मावती बखानिये । गंगेरवाल बंधुराल तोर्णवाल सोहिला | करिंदवाल पश्चिवाल मेढ़वाल खोहिला ॥९॥ लवेंचु आर माहुरे महेसुरी उदार हैं। सुगोललार गोलापूर्व गोलहूं सिंघार हैं ॥ बंध नौर मागधी विहारवाल गूजरा । सुखंडरा गहोय और नानंरान वूसरा ॥१॥ भुराल और मुराल और सोरठी चितौ-. रिया । कपोल सोमराठ वर्ग इमड़ा नागौरिया || सिरी गहाड़ मंडिया कनोजिया अनोषिया । मिवाड मालवान और जाधड़ा समोधिया |१|| सुभट्टनेर रायवाल नागरा रूघाफरा । सुकथ रारु नालुरारु वालमीक भाकरा ॥ पमार लाड़ चोड़ कोड गोड़ मोड़ संमरा । सु खंडिआत श्री खन्डा चतुर्थ पंचम भरा ॥१२॥ सु रत्नकार भोजकार नारसिंघ हैं पुरी । सु जबूबाल और क्षेत्र अंश वैश्य लौं जुरी | सु आइ है चुरासि नाति जैनधर्मका धनी। सवै विरामि गोटियों जु इंद्रकी समां बनी॥१शा सुमाल लेनको अनेक भूपलोग आवहीं । सु एक एकत सुमांग मालको बड़ावहीं॥ कहें जु हाथ जोरि जोरि नाथ माल दीनिये । मंगाय
देउँ हेमर डार कीनिये ॥१४ बघेलवाल बांकडा हजार • बीस.देत है हमार.दे पचास.पोरवार फेरि लेत हैं। जैसवाल
लाख देत माल.लेत चोपसों । जु-दिलिवाल, दोय लाखे देत है अगोपंसो ॥ १५ ॥सु अग्रवाल बोलिये जु माल मोह दीजिये।