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मो आज देश में इस प्रकार सामन-शामक वर्ग में एव प्रजा वर्ग में अज्ञानता को दो ज्ञान गमनकर आज देश के दोनो वगं हम प्रकार अज्ञानता को शिक्षा-दीक्षा को प्राप जोवन पर्यन इमी अज्ञानता के परि. णमन के कारण भोगापभोगो को ही मात्र सममान का कारण जानकर उमो मदद विश्वासको पाउमो मानण करता हा में दशम अजानना का बनाने मागणना में नो पानियो मेंदा में प्रगान गान का नाम क्या -
अज्ञानना नो मा. नारे भाजदेशमा जानना शरणमा मपरम्परहार जोया कम गर यान अपने भोगापभोग कोलिपना
काय पणाकाम: पकाबनी हनीप्रमा में अज्ञानता का पापा-मात्राकानीका अवता माग ग म्भव है। वनधान! रामनाम ना ना ना मानो पनायगं के जीवन गम' "मायाकारानपानमोर गरमागरण द्वाग सानी ना प्रामा का
विमोबाm. II पतनका पानी निकायो । म नागर जीवन न्यागतम नामनी काममा जापान का मगवादालन म जाना मानव पतन नही
मामाकागरण आरमाण नाामन का पजावागामातमागापमा. गाना जटाने १० मजवर दला, ग. म नामा प्रजावग .1 कागदाग :
..लमा नबगानम गगब प्रजावग जोवन म अना ? मी मान मात्रा म जटा मरगा पर अमानव है। यह माना
जाना मान । अम्त आज का मननम बनानपान जानना कि विचागका मरकाका अगवान्दार मनात म कारण बन सकता है और विनाकामा प्रयवा मागकरण प्रशानी प्रा.मात्राम 'काल मन ही।
जेन गिद्धान्न गा मा.भार महिने मामा के परिणमन का अथवा प्राय मान माया ओर लाभ पी कपायो म परिणमन को. अजानना का परिणमन करना है। म प्रकार का परिणमन तो प्रत्यार ममाग आत्मा म विकार होना ही रहता है किन्न
न कपायां अथवा विकाग भावा म जब नीता में प्रात्मा का परिणमन होता है. नवामा आत्मा मरकागकरण अथवा केन्द्रीकरण