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________________ क्रियाएं देशवासियों को सुख और शांति की वृद्धि कर गो, और वे देश अज्ञानी देश वासी गायन के द्वारा दिये गा प्रलोभनों को पथार्थ जान. शासन द्वारा लगाये गये भीषणता धारण किए हा करो काका बोन होते जाते है और गासन की उमके सरकारीकरण हेतु धन जुटाते हो जाते है। इस प्रकार यह सरकारीकरण की क्रिया दा म उग्रप धारण किए है। सरकारीकरण हा व्यवसायों में. न ता उगमति नमनागियो कं. भोगोपभोगों का तुष्टीकरण हो पाना है और न ही उनकी मम्या पटती है। कारण भी स्पष्ट है. आज दगम भागाभाम. नवाननम माधनी से देश के नगर भरे पडे है उन भडार गोमबद रहे और फिर मामन का बलपा गामा म न गामक बामन ना कमंचागे अगर उन नगगे में भीषणता में उपलब्ध. आज भागाभाग क माधनो की प्राप्ति हेतु अपने गामन के बल का प्रयोग करना :गम गन्दर ही क्या । आज गामन अपना उदयनी दा के अज्ञानीवामिया कान गान्ति एवं ममद्धि देना बनाता है. किन्द न प्रतिदिन माजदारक गरीब देशवामी मुख-शान्ति एव जावन क. मल मन मानता को प्राम दर ही होने देम्व पाए जा इस प्रकार दामन अपन उपस्या र स मदिन प्रतिदिन का भागना जाता है और दशा मगमा आर अगानिका बाल-बान्या या जा रहा है। गामन म रन मनुष्य समाज के विद्वाना का नामनियार मुटने म लगा है. किन्न उनके नाम और नया नया-मरना. अगानि बढ़ान म कारण ना ना, और मान बहाना, किन्तु पान्ति की दिगा देने म. नामनिया ना मालन नही पान । यह मब तथा मवदना क्या कारण है दा म बटना हुई अगानि कम कर. - और मात काम की जन मानुप जाति का जीवन कम आर. पर एक अगसब प्रत आजदार चाटी के नेता-विचारको के दिन पानीपाना में चक्कर गा रहा। जैन सिद्धान्न अथवा जन कानन म : मिद्धान्त राम का अर्थ कानन है) आत्मा का गण नंतना कहन, मक नोन भेद . जान चनना. २. कम चेतना. :.क.मं फल चनना । जान-ननना कंवरजान ये दोनो एकाथं वाची शब्द है और यह गण नीर्थकर व गिद्ध जीवो कहाना है। एम जीव गास्वन मुम्ब क भोक्ता होन।
SR No.010308
Book TitleJain Siddhanta ke Adhar par Aaj ke Yuga ke Samasyao ka Hal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Malaiya
PublisherDigambar Jain Siddhakshetra Drongiri Trust
Publication Year1973
Total Pages79
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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