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________________ सरकारीकरण अथवा केन्द्रीकरण उपगेन गादों का अंग्रेजी भाषा का गब्द (Vati nalisation) है । गुद्ध हिन्दी भाषा में इमे एक गक्ति के आधीन दंग के धन-धन्यादिक को एकत्रित करना कहते हैं। जो नि. इमप क्रिया में पागलवत लग जात मी वह नि., म्वभावतः उम एकायन किय गए धन धन्यादिक का भोगीपभोग प्रथमतः स्वयं करती है और अन्य को उसका भोगाप. भांग म्वय का इच्छाओं के तुष्टीकरण करने के उपगन्त ही करने देता है। आज भाग्न दा गणन यवादी दवा है । गगनयवादिता में प्रत्येक देश वामी का गजा कहते है किन्तु यह ना मभव नही, तथापि उनके द्वाग निवांचिन पुरुप गजा बनते हैं, और उन निर्वाचित पुस्पा के द्वागगासन हेत जितने भी भिन्न-भिन्न मप में मरकारीकरण के कार्यालय स्थापित होते है उनमें क्रियागील मभी कर्मचारी गजा बन जाते हैं क्योंकि गणतत्रवाद शब्द की मान्यता ही "मी है. इस प्रकार देशा में भिन्न-भिन्न क्षेत्रा में जा आज मरकारीकरणम्प को प्राप्त व्यवमाय है. उनके द्वारा उपाजिन धन धन्यादिक को म्वय के भोगापभोग के तुष्टीकरण हेतु वे मभी मंचारी कटिबद्ध है। शासन के द्वाग सरकारीकरण में ग्न जनममुदाय का उम व्यवमाय पर एकाधिकरण होता है और इमाना जब उस व्यवमाय में ग्न जनममदाय अपने भोगोपभोग के तुष्टीकरण में बाधा पाना है, तब वह मठिन हो हरनाल कर देना है. अथात् अपना व्यवमाय हेतु क्रियाओं को बद कर देना है। इसमे जनमानम के जीवन म बाधाए आने लगती है और उस शामन की जो कि गणन प्रवादी अपने को कहता है, उमको प्रगानिक क्षमता अम्न व्यस्त हो जाती है और वह विवेकहोन बन. इस प्रकार की हडनाली को पुलिस-फोजी द्वाग. नाम करने में लग जाती हैं। यह क्रिया आज के गणतंत्रवादी भारत देश में भीषणना में मवंत्र देवी पाई जाती है । गणतंत्रवादी-गासन इम विशाल देवा के अज्ञानी देशवासियों को निरनर यह लोभ देता है कि उसके सरकारीकरण की ममी
SR No.010308
Book TitleJain Siddhanta ke Adhar par Aaj ke Yuga ke Samasyao ka Hal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Malaiya
PublisherDigambar Jain Siddhakshetra Drongiri Trust
Publication Year1973
Total Pages79
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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