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________________ को इस प्रकार की दुष्टता का व्यवहार ही, शासन की सत्यता का व्यवहार है कि जिसके आचरण मे गामन देश में मुख एवं गान्ति स्थापित करेगा। भला यह गामन वताए कि उसकी सत्यता का आचरण भी देश में दुग्व और अगान्ति फेला मकता है ? मंमार ने तो मदेव जाना और माना है कि असत्यता का आचरण मदेव दुःख और अशांति में परिणामत होता है और सत्यता का आचरण मदंव मुम्ब और शांति में कारण बनता है । मोई गासन की यह अकल की ठेकेदारी केसी ? शासन को दुष्टता से कम भावों पर गेहूं चावल की वमूली मात्र मामन का अमत् दुष्टता का व्यवहार, देश को गरीब जनता के प्रति. शामन का घातक प्रहार है। एम देश म क्या मुख गान्ति डेंटा जा सकती है ? कदापि नहीं। गेह-चावल गरीब जनता अपनी गागरिक मेहनत में अपनी भमि पर पदा करता है और उसका एक कण भी उम गरीब जनता की इच्छाओं के विगत गामन को, अपनी फोजी एवं पुलिस की ताकतों की धमकी देकर उड़ाने का अधिकार नहीं है, फिर भी गासन अपने हठ पर कटिबध्य है, वह अपना हट छोड़ना ही नहीं है। इन प्रकार के हठ द्वाग, शामन क्या देश म अगाति नहीं बढ़ाएगा? गायन फौजी-पुलिस के वलपर हिमात्मक प्रवनियां का छोड़ना ही नहीं चाहता। अपने ही देशवासियों के प्रति इम प्रकार की करतात्मक हिमात्मक प्रवृत्तियां मात्र गामन की अमत्यता का परिणाम है । गामन इम अमत्यता के आचरण को ही मत्याचरण कहता है । अमत्य को जानने वाला ही अमत्य को सत्य कहता है। जब तक सत्य क्या है यह नहीं जाना जाता, तब तक कोई भी मत्य असत्य का न तो भेद ही कर पाता है और न ही अपने असत्य के आचरण का त्याग कर पाना है, अस्तु । गरीब जनता की संपत्ति. उसका जन्म सिद्ध अधिकार, उसके जीवन का एकमात्र आधार ही भूमि से उत्पादित गेहूं-चावल हैं। इसके विपरीत धनधान्यादिक की विपुलतम मात्रा को प्राप्त शासन अगर गेहूँ-चावल गरीब जनता में बलपूर्वक छिनाता है तो वह शासन देश को मात्र नारकीय जीवन देगा, अन्य कुछ नहीं । उपरोक्त शब्दों के विपरीत. जेन शासन इस प्रकार कहता हैमुह परिणामो पुण्णं असुही पावत्ति भणिय मण्णमु । परिणामो णण्ण गदो दुःक्वक्खय कारण ममये ।।
SR No.010308
Book TitleJain Siddhanta ke Adhar par Aaj ke Yuga ke Samasyao ka Hal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Malaiya
PublisherDigambar Jain Siddhakshetra Drongiri Trust
Publication Year1973
Total Pages79
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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