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________________ देश में शासन की गरीब जनता पर इतनी तीव्र दुष्टता आज क्यों ? सदैव से गेहूं और चावल के भाव अन्य सभी प्रकार के अनाजों के भाव से ज्यादा रहते चले आए हैं पर आज शासन फौजों व पुलिस की शक्ति को पाकर उन्हें अत्यन्त विनाशकारी अस्त्रों से लंस कर, अत्यन्त दुष्टता का व्यवहार गरीब नागरिकों को दे रही है और उनसे सभी न्यूनतमश्रेणी के अनाजों से भी कम भावों पर गरीब नागरिकों से गेहूं चावल छुड़ाने को कटिबध्य है । यह दुष्टता का व्यवहार अपनी सीमाएँ नित्य प्रति लांघ रहा है । आज शासन अपने इसी व्यवहार को उसी गरीब जनता की भलाई का व्यवहार ही केवल नहीं कहता है तथापि अस्त्र शस्त्रास्तों से लैस फौजों के बलपर, धनी जनता और अपने कर्मचारियों को भी, इस दुष्टता के व्यवहार को गरीब जनता को भलाई का व्यवहार कहलवाने को बाध्य करता है। सभी आज, इस प्रकार शासन की दुष्टता के व्यवहार से पीड़ित हैं । शासन यह जानता और मानता भी है कि गेहूं और चावल देश की गरीब जनता के भोजन हैं और वे उसे पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना अनिवार्य हैं । गामन यह भी जानता है कि बड़े-बड़े शहरों में रहने वाली जनता को अनेकानेक प्रकार के भोजन कारखानों में बने और होटलों में बने विविध प्रकार के सामिष निरामिष सदेव शहरी नागरिकों के सेवा में प्रस्तुत रहते हैं क्योंकि शासक वर्ग और शहरी जनता देश के भिन्न-भिन भागों की देहाती जनता को तीव्रता से चूमती जा रही है, फिर भी शासन अपनी दुष्टता की रट को बढ़ाता ही जाता है कि वह गरीव जनता मे न्यूनतम भावों पर गेहूं चावल छुड़ाकर ही रहेगा। यह ऐसा क्यों ? शासन उत्तर दें । शासन के पास कोई उत्तर नहीं है वह फिर उत्तर भी कैसे दे ? शासन तो अकल का ठेकेदार बना हुआ है। उस अकल की ठेकेदारी में शासन तो यह कहना, तोते की भाँति छोड़ता नहीं कि शासन - - ५७ -
SR No.010308
Book TitleJain Siddhanta ke Adhar par Aaj ke Yuga ke Samasyao ka Hal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Malaiya
PublisherDigambar Jain Siddhakshetra Drongiri Trust
Publication Year1973
Total Pages79
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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