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देश में राजा वर्ग बनाम प्रजावर्ग आज देश में शासन प्रजावर्ग को जिस भीषणता से नष्ट करने में लगा है, उतनी भीषणता से शासन ने प्रजावर्ग का नाश कभी नहीं किया। ___ शासन में प्रवेश करने वाले नागरिक को पुलिस और आधुनिक शस्त्रों सहित फौजों का बल प्राप्त हो जाता है। सोई शासन मनमाने कानून प्रजावर्ग पर प्रतिक्षण लदता चला जा रहा है और शासकों द्वारा उन कानूनों के मनमाने अर्थ लगा प्रजावर्ग उनके द्वारा पोसा जा रहा है।
शासन वर्ग अंग्रेजी भाषा भाषी है और वह उस भाषा के शब्दों के अर्थ मनमाने गढ़ता ही चला जाता है, यही परिपाटी में शासक ढला, मनमाने अंग्रेजी भाषा के अर्थ लगा, प्रजावर्ग पर आदेश दे, उस प्रजावर्ग पर जुल्म पर जुल्म, पुलिस और फौजों के बलपर बरसाता ही जाता है ।
इसीलिए अंग्रेजी भाषा की दौड़ देश में आज तीव्र गति से बढ़ती ही जाती है इस गति का कहीं अंत नहीं । शासक वर्ग में विषय कषाय जनित अन्याय की वेल में, बेल के जाल में, आज प्रजावर्ग मकड़ो के जाल में मक्खी समान फंस चुका है। वह मकड़ो रूपी शासन अपनी प्रकृति में अपना परिणाम छोड़ता ही नहीं यथा : “भली भांति शास्त्रों को पढ़कर भी अभव्य जीव प्रकृति (अर्थात् प्रकृति के स्वभाव को) नहीं छोड़ता जैसे मीठे दूध को पोते हुआ भी सर्प निर्विष नहीं होते।"
अतः सिद्ध है अंग्रेजी भाषा देश की प्रजा को विषरूप है और अंग्रेजी भाषा भाषी देश में सर्प रूप हो प्रजावर्ग पर विष वमन करता ही चला जा रहा है। विषय-कषाय रूप विष शासन-शासक वर्ग में बढ़ता ही जाता है, वह प्रतिक्षण अपने विषय-कषाय की सीमाओं का उल्लंघन करता हो जाता है।
हे प्रजा वर्ग के नागरिको, तुम इस विष से बचो । क्या यह विष तुम्हें भीषणता से डंसता ही नहीं जा रहा है ? क्या तुम्हारे सभी उपचार इस विष के आतंक से तुम्हें बचाने में सफल हो पाये हैं ? क्या तुम इस विष का फल भोग, अपने स्वच्छ जोवन को भीषणता
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