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मिथ्यात्व व सम्यक्त्व (परिभाषाएँ) तिर्यच और मिथ्यादृष्टि इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है। आज की भाषा में इन शब्दों का अर्थ मूर्ख है किन्तु इस अर्थ में भी यह जानना कि मिथ्या अथवा विपरीत बुद्धिवाले सभी जैन सिद्धान्त में मूर्ख कहे गए हैं और जैन सिद्धान्तानुकूल, विषय-कषाय में आचरण, जो कि रागद्वेष मोह भावों को आत्मा के भाव जानने के कारण होता है-ऐसे सभी आचरण-मिथ्यात्व अथवा मूर्खता है। ऐसे आचरण के हटे बिना, आत्मा का शुद्ध आचरण, जिसे सम्यक्त्व का आचरण कहते हैं, ऐसा आचरण नहीं बनता। सम्यक्त्व शब्द का अर्थ, आत्मा के शुद्ध दर्शन-शान गुण में प्रवास्पद होना है।
तिलीग्राम-सागर १९-३-७३
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