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अनुशासन (Rule-administration) अनुशासन शब्द का अर्थ श्रद्धा है सोई आज जगत् में विषय-कषाय का अनुशासन है। जितने भी सिद्धान्तों (laws) की आज जगत् में रचना होती है वे सभी सिद्धान्त इस तथ्य के आधार पर अंकित किए जाते हैं कि मात्र विषय-कषाय का आचरण ही संसार में सुखों का कारण है, अन्य कोई मार्ग सुखों का कारण ही नहीं है । आज जगत् में यह श्रद्धा तोवता को हो प्राप्त नहीं है. अपितु निरंतर दिन प्रतिदिन अपनी सीमाओं का उल्लंघन करती ही जाती है, भविष्य में भी ऐसा ही होता जायगा, इसमें कोई शंका दिखती ही नहीं।
विषय-कषाय रहित आत्मा का परिणमन भी हो सकता है और वही अनाकुल सुख है यह आज मनुष्य न तो जानता ही है और न ही इस प्रकार उसके जानने की चेष्टा ही है; और वह इस विचारधारा से दिन प्रतिदिन दूर ही होता जा रहा है । विषय-कषाय रहित आत्मा के आचरण में ही निराकुल मुख एवं शांति है और मनुष्य सुखी रह सकता हैऐसा जब तक जानकर, मनुष्य इसी विचारधारा में श्रद्धा को प्राप्त न हो, तब तक विषय-कषाय रहित अपने आवरण को बनाए भी कसे?
जैन-शासन में श्रद्धा को प्राप्त श्रावक ही यह आचरण बना सकता है, सोई आज जैन-शासन का तो पूर्णतः अभाव है, फिर मनुष्य निराकुल सुख शांति केसे प्राप्त करे ? जेन सिदान्त को जान, उसमें श्रद्धा को प्राप्त होने की ओर आज लक्ष्य ही नहीं। सम्यग्दर्शन क्या है, उसमें आचरण कैसे बने, इस ओर दृष्टि किसी को भी नहीं है ।
-सागर १८-३-७३
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