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भेद विज्ञान
लड़कपन सरल होता है, बुढ़ापा कठिन होता है। बुढ़ापा आ जाता है किन्तु लड़कपन नहीं जाता और लड़कपन में ही तू काल का ग्रास बन जाता है।
बड़े-बड़े शिक्षालय बने परन्तु वे सभी लड़कपन हटाने में असफल ही नहीं हुए अपितु लड़कपन तीव्रता से बढ़ाने की शिक्षा दे, लड़कपन बढ़ाते ही जाते हैं।
लड़कपन का फल-शारीरिक एवं मानसिक व्याधियां-इनको हटाने बड़े-बड़े आविष्कार-अस्पताल-कचहरियां आई परन्तु वे सब लड़कपन हटाने में असमर्थ हुए।
लड़कपन करने में व्यक्ति-व्यक्ति में, समाज-समाज में व देश-देश में होड़ लगी है, भीषणतम लड़ाइयां लड़कपन पाने की होड़ में हो रही हैं।
और लड़कपन बढ़ता जाता है; मुंह भी भीषणता से लड़कपन की वाणी बक रहा है और इस होड़ को सिद्ध कर रहा है।
हे भव्य प्राणी ! तुझे लुभाने वाले इस लड़कपन को त्याग । बुढ़ापा कठिन होने पर भी, उसमें सफलता को प्राप्त हो, तभी तू मुम्बी बनेगा, अन्यथा नहीं।
मोहवश जागता हुआ भी तू सोता है। भगवान् की इस वाणी को सत्य जान, उसी में श्रद्धा को प्राप्त हो। मोह लड़कपन है-उसे त्याग और भगवान् की वाणी वीतराग भाव में, शुद्ध आत्म तत्त्व को जान, उसमें श्रद्धा को प्राप्त हो, उसी में आचरण कर, तभी तू शारीरिक, मौखिक एवं मानसिक सुख शान्ति को प्राप्त होगा । यथा : ___ "सर्व लोक में काम भोग सम्बन्धी बंध की कथा तो सुनने में आ गई है, परिचय में आ गई है और अनुभव में भी आ गई है, इसलिए सुलभ है, किन्तु भिन्न आत्मा का एकत्व होना कभी न तो सुना है, न परिचय में आया है बोर न अनुभव में आया है इसलिए एकमात्र वही सुलभ नहीं है।"
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