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आत्मा में विचारों का परिणमन शुद्ध विचार ही दृढ़ और मजबूत विचार होते हैं. क्योंकि ये पूर्ण होते हैं। ___ अशुद्ध विचार दृढ़ता रहित कमजोर विचार होते हैं, क्योंकि वे अपूर्ण होते हैं।
शुद्ध विचारों के आधार पर क्रिया सदेव, पूर्णतः सफल क्रिया होती है, तथापि सुखदायक होती है।
अशुद्ध विचारों के आधार पर क्रिया अपूर्ण होती है, ऐसी अपूर्ण क्रिया सफलता प्राप्त नहीं करती, तथापि दुःखदायक होती है । ___ सम्यग्दृष्टि के विचार शुद्ध होते हैं, मिथ्यादृष्टि के विचार त्रिकाल शुद्ध नहीं हैं, वे सदैव अशुद्ध होते हैं। ___ आज भारत देश के शासक के विचार अशुद्ध हैं, वे निरंतर अशुद्धता को बढ़ाते हुए ही क्रियाशील है, अतएव देश में दुःख एवं अशांति बढ़े तो क्या अचरज है ?
तिलीग्राम-सागर २९-११-७२
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