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दिवाली-विचार
स्वयं कुमार्ग पर चलने वाला पुरुष, क्या अन्य को मार्ग बता उस मार्ग पर उसे आश्वस्तकर चलाने की क्षमता रख सकता है ?
कदापि नहीं।
भारत देश के विकारी नायको! अन्य देशवासियों के विकारी कुमार्ग को स्वयं धारण कर, पथ भ्रष्ट हो क्या देशवासियों को, तुम लोग मार्ग पर चलाने की क्षमता रखते हो ? अथवा उन्हें पथ भ्रष्ट कर, देश में अशांति बढ़ाने में कारण बन चुके हो?
असत्य को सत्य बता क्या उसी को ग्रहण करवाने में कटिबद्ध हो, अथवा नहीं ?
विचारो । क्या यह तुम्हारी अचेतनता का परिणमन नहीं है ?
तिलीग्राम सागर ८-११-७२
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