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जैन सिद्धान्त दीपिका
१६. जिसका लक्षण अनुपयोग होता है, उसे अजीव कहते हैं।
जिसमें साकार और अनाकार दोनों प्रकार का उपयोग (चेतना-व्यापार) नहीं होता उसे अजीव या अचेतन कहते हैं ।
२०. अजीव के पांच भेद हैं-धर्म, अधर्म, आकाश, काल और
पुद्गल। इनके लक्षण पहले प्रकाश में बताये जा चुके हैं ।'
इति जीव-अजीव-भेद-निर्णय ।