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जैन सिद्धान्त दीपिका
१५. जरायुज, अण्डज और पोतज ये गर्भ से उत्पन्न होते हैं। ..
जन्म के समय जो एक प्रकार को दिल्ली से वेष्टित होते हैं, उनको जरायुज कहते हैं । वे हैं मनुष्य, गाय आदि ।
अण्डों से उत्पन्न होनेवाले पक्षी एवं सांप बाहि अण्डज कहलाते हैं।
खुले अंग उत्पन्न होनेवाले हाथी, खरगोश, चहा आदि पोतज कहलाते हैं।
१६. देव और नारकों के जन्म (शय्या एवं कुम्भी में उत्पन्न होने)
को उपपात कहते हैं।
१७. शेष जीवों के जन्म को संमूच्र्छन' कहते हैं ।
१८. जीवों की नौ योनियां (उत्पत्ति-स्थान) है :
सचित्त, अचित्त, सचित्त-अचित्त । शीत, उप्ण, शीतोष्ण। मंवृत, विवृत, संवृत-विवृत ।
१. जो जन्म न तो देव बोर नारकों की तरह नियत स्थान में ही होता
है और न जिसमें गर्भधारण की आवश्यकता होती है, उसे
मंमूर्छन कहते हैं। २. देखें परिशिष्ट १५