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तृतीय प्रकाश
१. जीव दो प्रकार के हैं।
२. मंसारी और सिद्ध।
जन्म-मरण परम्परा में घूमनेलाले जीव संसारी और उससे निवृत्त जीव सिद्ध कहलाते हैं।
३. मंमारी जीव दो प्रकार के हैं -त्रस और स्थावर ।
हित की प्रवृत्ति एवं अहित की निवृत्ति के निमित्त गमन करने वाले जीव त्रम और शेष सव स्थावर कहलाते हैं।
४. एकेन्द्रिय जीव-पृथ्वीकायिक, अपकायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पनिकायिक- स्थावर होते हैं।
जिनका शरीर पृथ्वी है, वे पृथ्वीकायिक हैं। इसी प्रकार अपकायिक आदि में जानना चाहिए । इनमें एक स्पर्शन-इन्द्रिय होता है, अतः ये एकेन्द्रिय है और ये स्थावर कहलाते हैं।
उन पन्चों स्थावरों में मूक्ष्म स्थावर समूचे लोक में हैं और