________________
अष्टम प्रकाश
१. अहंन को देव कहा जाता है।
जो तीर्थ (धर्मसंघ) का प्रवर्तन करने में सम होते है ये बन कहलाने है। उन्हें सर्वानिशय-मम्पन्न केवनी, जिन व नीर्थकर भी कहा जाता है।
२. निग्रंन्य को गुरु कहा जाता है।
जो अहंस के प्रवचन (शामन) का अनुगमन करने वाले नया बाप और आभ्यंतर प्रन्थियों से मुक्त होते हैं, वे निग्रन्थ कहलाने है।
३. आत्म-गुद्धि के माधन को धर्म कहते है।
४. भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों में विचार करने पर धर्म के अनेक
विकल्प होते हैं।
५. धर्म एक प्रकार का है, वह है-अहिमा।