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सप्तम प्रकाश
१. कर्मविशुद्धि की तरतमता की अपेक्षा से जीवों के चौदह स्थान (भूमिकाएं) होते हैं।
धर्म और धर्मी में अभेद का उपचार करने पर जीवस्थान गुणस्थान कहलाते हैं :
२. जीवस्थानों के नाम इस प्रकार हैं :
१. मिथ्यादृष्टि २. मास्वादनसम्यक्दृष्टि ३. सम्यक्मिध्यादृष्टि ४. अविरतसम्यदृष्टि ५. देशविरत ६. प्रमत्तसंयत ७. अप्रमत्तसंयत
८. निवृतिवादर ६. अनिवृत्तिबादर १०. मूक्ष्ममंपराय ११. उपशान्तमोह १२. क्षीणमोह १३. सयोगीकवली १४. अयोगीकेवली
३. तत्त्व पर मिष्या श्रद्धा रखनेवाला मियादृष्टि कहलाता है।